मंगलवार, 26 जनवरी 2016

शेर

दुःख  शुख दोनों साथ  रखते है
जो अपने आसुओं में आग रख्त्ये है
टकरा कर बिखरा तूफां तबजाना सबने
हम अपने रुतबे में कितना शैलाब रखते है

सितारों की बस्ती बिखर जाती है
जब चादनी आसमां में

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें