ग़जल
एस दिल में उनका घर हो गया
मुहब्बत का ऐसा असर हो गया
कल ही देखा था उसको मैंने
आज दीवाना ये शहर हो गया /
हवा का रुख बदलने लगा है
वो पौधा अब शजर हो गया
कोई बा -वफाई उसमे न थी
फिर भी जुदाई का डर हो गया
२
गर गर्दिश में अपनी जां देखूं
तो ख्वाब हशी मई कहाँ देखू
वहां वो खोये है मेरे खयालों में
मै ख्वाबो में जिसको यहाँ देखू
मंजिल करीब है ऐसा लगता है
अब कदम कदम इम्तिहाँ देखू
आ ही जाती है याद ग़ाव की
जब गुजरता हुआ कारवां देखू
एस दिल में उनका घर हो गया
मुहब्बत का ऐसा असर हो गया
कल ही देखा था उसको मैंने
आज दीवाना ये शहर हो गया /
हवा का रुख बदलने लगा है
वो पौधा अब शजर हो गया
कोई बा -वफाई उसमे न थी
फिर भी जुदाई का डर हो गया
२
गर गर्दिश में अपनी जां देखूं
तो ख्वाब हशी मई कहाँ देखू
वहां वो खोये है मेरे खयालों में
मै ख्वाबो में जिसको यहाँ देखू
मंजिल करीब है ऐसा लगता है
अब कदम कदम इम्तिहाँ देखू
आ ही जाती है याद ग़ाव की
जब गुजरता हुआ कारवां देखू
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें