सोमवार, 25 जनवरी 2016

                  ग़जल     





एस दिल में उनका घर हो गया
मुहब्बत का ऐसा असर हो गया

कल ही देखा था उसको  मैंने
आज दीवाना ये  शहर हो गया /

हवा का रुख बदलने लगा  है
वो पौधा अब शजर हो गया

कोई    बा -वफाई  उसमे न थी
फिर भी जुदाई का डर  हो गया





गर गर्दिश में अपनी जां देखूं
तो ख्वाब हशी मई कहाँ  देखू

वहां वो खोये है मेरे खयालों में
मै ख्वाबो में जिसको यहाँ  देखू


मंजिल करीब है ऐसा लगता  है
अब कदम कदम इम्तिहाँ देखू 

आ ही जाती है याद  ग़ाव की
जब गुजरता हुआ कारवां देखू

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें