रविवार, 12 फ़रवरी 2017

चलते  चलते  यूं  ही  ठहर  गए  थे
कई  सपने  आखों  मे संवर  गए थे
ये बात और  है की उन्हे खबर ना हुई
पर हम इश्क मे हद से गुजर गए थे ,/





कई  डगमगाते  कदमों  को  सँभाला मैंने
था  शौक   ही  कुछ   ऐसा   पाला  हमने
एक मुद्दत  से अंधेरा  इसलिए साथ में है
एक सदी भर लुटाया  था उजाला हमने /







कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें