कवि वैभव कटियार कानपुर
कदम कदम पे जिस्मों जाँ कुर्बान होता है
राह ए इश्क मे चलना कहाँ आसान होता है
गर हर रोज एक कली फूल बनती है
तो हर रोज एक चमन बीरान होता है
कदम कदम पे जिस्मों जाँ कुर्बान होता है
राह ए इश्क मे चलना कहाँ आसान होता है
गर हर रोज एक कली फूल बनती है
तो हर रोज एक चमन बीरान होता है
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