आखों मे आश्कों को.... भरा रहने दो
याद उनकी दिल मे...... जरा रहने दो
अब दुआ दबा दया .... ना करो यारो
मुहब्बत का ज़ख्म है.... हरा रहने दो ( कवि वैभव बेखबर)
पड़ लेता हू चहरों को ...किताबों की तरह
हमे उसके इश्क ने इतना काबिल बना दिया ,
।
गर तुझे जाना है तो जा । ......... कल कोई और आएगा इस बस्ती मे ।
कवि वैभव बेखबर KAVI VAIBHAV BEKHABAR
याद उनकी दिल मे...... जरा रहने दो
अब दुआ दबा दया .... ना करो यारो
मुहब्बत का ज़ख्म है.... हरा रहने दो ( कवि वैभव बेखबर)
पड़ लेता हू चहरों को ...किताबों की तरह
हमे उसके इश्क ने इतना काबिल बना दिया ,
।
गर तुझे जाना है तो जा । ......... कल कोई और आएगा इस बस्ती मे ।
कवि वैभव बेखबर KAVI VAIBHAV BEKHABAR
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