頄阄ी 耂वमश圀� पर एक कहानी
“ बीज ह萃या “
लेखक : वैभव क耂टयार
मो॰ 9455062093
एम॰बी॰ए॰
म॰ गां॰ अ॰ 耂हंद霅� 耂व៰�व耂व頄यालय, वधा圀� महारा调頄
耂शखा माथुर क훅� िज़ंदगी म शायद चार 耂दन क훅� बहार थी। अब तो उसे अपना सारा जीवन पतझड़ सा
नजर आ रहा था। 耂शखा 耂वधवा थी। उसक훅� सास अनीता, उसे हर वȅत ताने 耂दया करती थी 耂क
उसने उसके बेटे को खा 耂लया। 耂शखा घर का सारा काम करती थी जसै े 耂क वह अपने ह霅� घर म
नौकरानी बनकर रहती थी। 耂शखा का प耂त राजेश अपने 耂पता, मह頄 के साथ उनके कपड़ े क훅� दकु ान
म हाथ बंटाया करता था। राजेश रोज शाम को ज頄द霅� घर आ जाया करता था। उस 耂दन भी वह कु छ
ज頄द霅� ह霅� घर आ गया था। 耂शखा ने चाय बनाई और दोनᘂ साथ बठै कर चाय पी रहे थे। 耂शखा चाय
पीत-े पीत े 耂मȅसी लाने क훅� िजद कर बठै ᘂ। राजेश उसे 耂मȅसी 耂दलाने को कई 耂दनᘂ से टाल रहा था
ले耂कन आज वह टाइम का भी बहाना न बना सका। उसने 耂शखा से कहा अभी त頄ु हार霅� 耂मȅसी खर霅�द
कर लाता हूँ। रोज-रोज नाक म दम कर रखा है। राजेश अपनी बाइक लेकर बाजार चला गया। रात
के आठ बजने वाले थे। वह तजे बाइक चला रहा था। अचानक उसके सामने एक छोट霅� सी ब戄ची आ
गई। उसने बहुत ज़ोर से 찄ेक लगाया। बाइक उछाल खाकर बाएँ तरफ लढ़ु क गई। राजेश का सर बहुत
ज़ोर से सड़क 耂कनारे खड़ े पेड़ से टकरा गया। आसपास के लोग खनू से लथपथ, बेहोश राजेश को
अ頄पताल ले गए। साढ़े आठ बजे राजेश के एȅसीडट क훅� खबर उसके पापा को 耂मल霅�। वह दकु ान बंद
करके भागत े हुए अ頄पताल पँहुचे। डॉ॰ राजेश का इलाज कर रहे थे ले耂कन उसक훅� हालत काफ훅� गंभीर
थी। घबराए हुए मह頄 ने दघु ट圀� ना क훅� जानकार霅� फोन के मा៘�यम से अनीता को द霅� और ये भी कह
耂दया क훅� बहू को लेकर ज頄द霅� लो耂हया अ頄पताल आ जाए। तीन 耂दन राजेश का इलाज चलाने के बाद
डाȅटर उसे बचा नह霅� सके थे। राजेश और 耂शखा क훅� शाद霅� के अभी 16 मह霅�ने हुये थे। अभी उनक훅�
कोई संतान नह霅� थी। शायद उⰄह संतान पदै ा करने क훅� इतनी ज頄द霅� भी नह霅� ं थी। 耂कसे पता था 耂क
ऐसी घटना भी हो सकती थी। बेचार霅� 耂शखा पर दुख का पहाड़ टूट पड़ा।
राजेश के मरे हुये अभी 15 耂दन ह霅� हुये थे। 耂शखा को उसे सास के ताने 耂मलने लगे। मह頄 ने दकु ान
जाना श㠅ु कर 耂दया था। वह जब दकु ान चले जात े तब अनीता 耂शखा को उ頄ट霅� सीधी बात, ग耂लयᘂ
भरे ताने मारने लगी। 耂शखा क훅� िज़ंदगी बीरान हो चकु 훅� थी। राजेश क훅� याद म वो अपनी 耂मȅसी
वाल霅� िजद को लेकर अफसोस करती हुई रोत-े रोत े घर का काम 耂कया करती थी। एक 耂दन 耂शखा के
मायके से उसके पापा आए। वे सास के पास बठै े, 耂शखा चाय बना लायी। 耂फर 耂शखा अपने कमरे म
चल霅� गई। थोड़ी देर बाद उसके पापा उसके कमरे म गए तो 耂शखा उनसे 耂लपट कर ज़ोर ज़ोर से रोने
लगी। पापा ने उसे 耂कसी तरह चपु कराया तो उसने कहा, सास ु मा ँ से अनमु 耂त ले लो मेरा मा ँ से
耂मलने को बहुत मन कर रहा है। 耂शखा के पापा ने अनीता से 耂शखा को घर ले जाने क훅� बात कह霅�,
अनीता ने हा ँ कह 耂दया और कहा, राजेश के पापा को फोन करके बता दो, वो अभी दकु ान पर हᘂगे।
耂शखा के पापा ने कहा ं म ै अभी दकु ान जा रहा हूँ उनसे 耂मलने तब तक 耂शखा तयै ार हो रह霅� है।
आ耂खर शाम को 耂शखा अपने पापा के साथ अपने घर आ गयी और अपनी मा ँ को देखत े ह霅� उनसे
耂लपटकर ज़ोर ज़ोर से रोने लगी। उसक훅� माँ ने भी उसे अपने सीने से लगा 耂लया।
耂शखा के दो भाई थे। दोनो क훅� शा耂दया ं हो चकु 훅� थी। बड़ी भाभी पास आकर उसे धीरज बंधा रह霅� थी,
तब तक छोट霅� भाभी चाय बना कर ले आयी। 耂शखा के भाई ऑ耂फस गए हुये थे। शाम को जब वे घर
आए तो 耂शखा एक बार 耂फए अपने बड़ े भाई मनीष को देखत े ह霅� रोने लगी। मनीष ने उसे साहस
耂दया, हम लोग त頄ु हारा परू ा 氅याल रखेग तमु 耂कसी बात क훅� 耂चतं ा मत करो। 耂शखा को आज अपने
म頄मी-पापा के यहा ँ आए हुये बारह 耂दन हो गए थे। 耂शखा का तो ससरु ाल जाने का मन नह霅� ं था।
एक 耂दन रात खाने के बाद 耂शखा के रहने को लेकर उसके भाई और भाभी के बीच मतभेद हो रहा
था। 耂शखा बठै े-बठै े चपु -चाप सब सनु रह霅� थी। उस रात वह सोने से पहले घंटो सोचती रह霅� आ耂खर
उसने अगले 耂दन अपने ससरु ाल जाने का फै साला कर 耂लया। अगल霅� सबु ह जब 耂पता जी और उसके
भाई ऑ耂फस चले गए तो वह अपनी मा ँ से 耂मलकर अपने ससरु ाल चल霅� आयी। मा ँ ने बहुत माना
耂कया पर 耂शखा कहा ं मानी। वह अभी बस म बठै ᘂ-बठै ᘂ जाने ȅया ȅया सोच रह霅� थी। कानपरु आकर,
आटो पकड़ अपने घर क훅� बजाय। अपने ससरु क훅� दकु ान पर जाने का फै सला 耂कया। आटो दकु ान के
सामने 頄का, 耂शखा के ससरु ने 耂शखा को आटो से उतरत े देख वो बाहर आ गए। मह頄 耂शखा के पास
गए, 耂शखा पहले से ह霅� कहने लगी पापा मझु े आपसे ज㠅र霅� बात करनी है। दकु ान म पीछे क훅� तरफ
एक कमरा था। मह頄 ने 耂शखा को कमरे म बठै ने को कहा और ये भी कहा म ै अभी आता हूँ। मह頄
अपने दकु ान के कमच圀� ार霅� से दकु ान देखने को कहकर 耂शखा के पास गए। मह頄 जसै े ह霅� कमरे म आये
耂शखा रोत े हुये कहने लगी, पापा म ै बहुत परेशान हूँ। म ै जीना नह霅� ं चाहती। म मर जाना चाहती हूँ।
मह頄 ने उससे कहा म त頄ु हारा दद圀� समझता हूँ पर बताओ आ耂खर बात ȅया है। 耂शखा ने बताया, जब
आप दकु ान पर आ जात े हो तो सास ु मा ँ मझु े बहुत भला-बरु ा कहती है। सारा 耂दन मझु े ताने 耂दया
करती ह, पापा म ै नह霅� ं जी पाऊँ गी। मह頄 ने उसे धीरज बँधाया, तमु 耂चतं ा मत करो, म ै अनीता को
समझाऊं गा। 耂फर मह頄 耂शखा को घर पर छोड़ आए। दकु ान पर अब वह अके ले ह霅� रहत े थे इसी耂लए
ज頄द霅� ह霅� वापस आ गए। 耂शखा अपने कमरे म जाकर कपड़ े बदलने लगी। शाम होने को आई तो
अनीता तीखी आवाज म ै बोल霅�, महारानी, चाय बनाने का क调ट करोगी? 耂शखा तरु ंत बोल霅� हा ँ म頄मी
अभी बनाती हूँ। 耂शखा चाय बना कर अनीता को देने गई तो अनीता झ頄लात े हुये बोल霅�, मायके म ह霅�
बनी रहती इतनी ज頄द霅� काहे आ गई, हमने तो सोचा था 耂क त ू अब नह霅� आयेगी। 耂शखा 耂फर 耂कचन
म चल霅� गई। रात होने को आई थी। 耂शखा रात का खाना बनाने के 耂लए 耂कचन म देख रह霅� थी 耂क
स调जी म ȅया ȅया है। धीरे-धीरे रात हो गई। मह頄 के आने का समय हो गया था, 耂शखा रोट霅� बनाने
लगी। थोड़ी देर बाद मह頄 घर आ गए। आत े ह霅� वे 䈆े श होने चले गए। खाने के बाद मह頄 ने अनीता
को समझाया, बहू पर 耂च頄लाया न करो। इतना सनु त े ह霅� अनीता मह頄 के ह霅� सामने 耂च頄लाने लगी,
साल霅� कु 耂तया, मायके से पहले दकु ान पर गई थी त頄ु हारे कान भरने। मह頄 ने अनीता को शांत
कराया। अनीता को समझाया, बहू बहुत परेशान है अगर तमु उस पर 耂च頄लाओगी तो वह कह霅� ं कु छ
उ頄टा सीधा न कर ले...।
राजेश को गुजरे हुये आज से लगभग ढाई मह霅�ने हो चकु े थे। सबु ह 9 बजे का समय था। मह頄 दकु ान
जाने के 耂लए तयै ार हो रहे थे। 耂शखा उनके 耂लए 耂ट耂फन लगाने जा रह霅� थी 耂क अचानक घर पर कु छ
लोग आ गए। वे लोग एल॰ आई॰ सी ॰ से थे। राजेश ने दो बीमा करा रखे थे। वो लोग उसी 耂वषय म
जानकार霅� लेने आए थे। मह頄 और अनीता उन लोगᘂ से बात कर रहे थे। 耂शखा उन लोगो के 耂लए
चाय बनाने लगी। कु छ देर बाद 耂शखा चाय लेकर कमरे म गयी और चाय रखकर वापस लौट霅� तो
मह頄 ने बीमा वालᘂ को बताया ये राजेश क훅� प萃नी है। 耂शखा चाय देकर वापस आकर द霅�वार से
लगकर कर उनक훅� बात सनु ने लगी थी। कु छ समय बाद 耂शखा के हाथ पर ऊपर से 耂छपकल霅� 耂गर
गयी िजससे उसके हाथ से वो चाय वाल霅� 頄े छू ट कर 耂गर गयी। 耂शखा घबरा सी गयी 耂क सबको
खबर हो चकु 훅� थी, क훅� 耂शखा उनक훅� बात सनु रह霅� है। बीमा वालᘂ के जात े ह霅� अनीता ने ह頄ला मचाना
श㠅ु कर 耂दया 耂शखा को भला बरु ा कहने लगी। साल霅� ल霅� छु प-छु प कर बात सनु ती है। मह頄 अनीता
को 耂च頄लात े हुये बोले अब चपु भी रहो। दस बजे मह頄 दकु ान पर चले गए। 耂शखा घर के काम म
调य頄त हो गई। दोपहर का समय था, आगँ न म काफ훅� धलू जमी देखकर 耂शखा पᘂछा लगाने लगी।
अनीता 耂कसी काम से आगँ न म आई। आगन गीला था, अनीता 耂फसल गयी। 耂फर ȅया था, अनीता
耂शखा को भ頄द霅�-भ頄द霅� गा耂लया ं देने लगी और यहा ँ तक क훅� पास रखा बाइपर उठा 耂शखा को दो चार
जड़ भी 耂दये। 耂शखा बेचार霅� वह霅�ं बैठᘂ-बैठᘂ रोती रह霅�। शाम होने को आयी 耂शखा उदास मन 耂लये
अपनी शाम क훅� 耂दनचया 圀� परू 霅� करने लगी। रोज क훅� तरह 耂शखा ने सास-ससरु को खाना 耂खलाया और
頄वय ं नह霅� ं खाकर अपने कमरे बठै कर सोचने लगी। मह頄 को कु छ पता नह霅� ं था वे सो गए। अनीता
भी सो गई।
शबु ह रोज क훅� तरह मह頄 अपने घर के सामने वाले पाक圀� म टहल थे। अनीता छत पर बठै ᘂ मह頄 को
देख रह霅� थी और बगल वाल霅� अपनी सहेल霅� से बात े कर रह霅� थी। धपू तजे हो रह霅� थी। साढ़े सात बज
गए। अनीता सोच रह霅� थी 耂क अभी तक 耂शखा चाय लेकर ȅयो नह霅� ं आयी। पं頄ह 耂मनट के बाद
अनीता नीचे गयी और 耂च頄लात े हुये बोल霅�, कहा ँ मर कर गयी, अभी तक चाय नह霅� ं बनाई है। इधर
उधर देखने के बाद जब उसे 耂शखा कह霅� ं नजर नह霅� आयी। तो वह 耂शखा के कमरे क훅� तरफ गयी तो
देखा दरवाजा अदं र से बंद था। अनीता 耂फर 耂च頄लायी अभी तक महारानी सो रह霅� है। उसने दरवाजा
खटकटाया 耂फर भी आहट ना हुई तो अनीता ने 耂खड़क훅� के काँच से झाँक कर अदं र देखा। तो चकरा
गयी। उसने मह頄 को फोन लगाकर तरु ंत आने के 耂लए कहा। मह頄 भागत े हुए आए तो देखा अनीता
ज़ोर से काप रह霅� थी। उसने काँच से अदं र झाकने का इशारा 耂कया। मह頄 ने काँच से झाँक कर देखा
तो 耂शखा पंखे से लटक훅� थी। वे फȅक राग गए...ले耂कन अगले ह霅� 韔�ण धȅके मारकर दरवाजा तोड़ने
लगे। दरवाजा टूटत े ह霅� दौड़कर 耂शखा को पकड़ा जाकर 耂क शायद अभी िजंदा हो, ले耂कन 耂शखा मर
चकु 훅� थी। मह頄 के कु छ समझ म नह霅� ं आ रहा था 耂क ȅया करे। मह頄 गु頄से म अनीता क훅� तरफ दौड़ े
उसे पकड़कर पीटेने लगे। वे 耂च頄लाते जा रहे थे...कमीनी, तेर霅� ह霅� वजह से आज ये नौबत आयी है...।
खबर तरु ंत परू े महु 頄ले म फै ल गयी। मह頄 ने सोचा 耂क 耂शखा के मायके खबर कर द। तो लोगᘂ ने
समझाया। पहले लाश को 耂ठकाने लगाओ, प耂ु लस के स हो गया तो मसु ीबत आ जाएगी। ले耂कन 耂कसी
ने प耂ु लस को खबर कर द霅�। पड़ोस के लोग लाश को 耂ठकाने लगाने क훅� योजना बना ह霅� रहे थे, कह霅� ं
耂क प耂ु लस आ गयी। मामला बढ़ गया। 耂शखा क훅� लाश पो頄頄मोट圀�म हाउस चल霅� गयी। इधर 耂शखा के
म頄मी-पापा और भाई भी आ गए। खरै , 耂शखा के पापा ने प耂ु लस को इⰄवो頄व नह霅� ं 耂कया। चार घंटे
बाद 耂शखा क훅� डडे बॉडी पो頄頄मोट圀�म हाउस से वापस आ गयी। पो頄頄मोट圀�म 耂रपोट圀� म जो था उसने
सबका 耂दल दहला 耂दया। 耂रपोट圀� सनु कर अनीता को ऐसा झटका लगा 耂क वह पागल हो गयी। 耂रपोट圀�
म था, 耂शखा ढाई मह霅�ने से गभ圀�वती थी। उसके पेट म एक लड़का था...।
“ बीज ह萃या “
लेखक : वैभव क耂टयार
मो॰ 9455062093
एम॰बी॰ए॰
म॰ गां॰ अ॰ 耂हंद霅� 耂व៰�व耂व頄यालय, वधा圀� महारा调頄
耂शखा माथुर क훅� िज़ंदगी म शायद चार 耂दन क훅� बहार थी। अब तो उसे अपना सारा जीवन पतझड़ सा
नजर आ रहा था। 耂शखा 耂वधवा थी। उसक훅� सास अनीता, उसे हर वȅत ताने 耂दया करती थी 耂क
उसने उसके बेटे को खा 耂लया। 耂शखा घर का सारा काम करती थी जसै े 耂क वह अपने ह霅� घर म
नौकरानी बनकर रहती थी। 耂शखा का प耂त राजेश अपने 耂पता, मह頄 के साथ उनके कपड़ े क훅� दकु ान
म हाथ बंटाया करता था। राजेश रोज शाम को ज頄द霅� घर आ जाया करता था। उस 耂दन भी वह कु छ
ज頄द霅� ह霅� घर आ गया था। 耂शखा ने चाय बनाई और दोनᘂ साथ बठै कर चाय पी रहे थे। 耂शखा चाय
पीत-े पीत े 耂मȅसी लाने क훅� िजद कर बठै ᘂ। राजेश उसे 耂मȅसी 耂दलाने को कई 耂दनᘂ से टाल रहा था
ले耂कन आज वह टाइम का भी बहाना न बना सका। उसने 耂शखा से कहा अभी त頄ु हार霅� 耂मȅसी खर霅�द
कर लाता हूँ। रोज-रोज नाक म दम कर रखा है। राजेश अपनी बाइक लेकर बाजार चला गया। रात
के आठ बजने वाले थे। वह तजे बाइक चला रहा था। अचानक उसके सामने एक छोट霅� सी ब戄ची आ
गई। उसने बहुत ज़ोर से 찄ेक लगाया। बाइक उछाल खाकर बाएँ तरफ लढ़ु क गई। राजेश का सर बहुत
ज़ोर से सड़क 耂कनारे खड़ े पेड़ से टकरा गया। आसपास के लोग खनू से लथपथ, बेहोश राजेश को
अ頄पताल ले गए। साढ़े आठ बजे राजेश के एȅसीडट क훅� खबर उसके पापा को 耂मल霅�। वह दकु ान बंद
करके भागत े हुए अ頄पताल पँहुचे। डॉ॰ राजेश का इलाज कर रहे थे ले耂कन उसक훅� हालत काफ훅� गंभीर
थी। घबराए हुए मह頄 ने दघु ट圀� ना क훅� जानकार霅� फोन के मा៘�यम से अनीता को द霅� और ये भी कह
耂दया क훅� बहू को लेकर ज頄द霅� लो耂हया अ頄पताल आ जाए। तीन 耂दन राजेश का इलाज चलाने के बाद
डाȅटर उसे बचा नह霅� सके थे। राजेश और 耂शखा क훅� शाद霅� के अभी 16 मह霅�ने हुये थे। अभी उनक훅�
कोई संतान नह霅� थी। शायद उⰄह संतान पदै ा करने क훅� इतनी ज頄द霅� भी नह霅� ं थी। 耂कसे पता था 耂क
ऐसी घटना भी हो सकती थी। बेचार霅� 耂शखा पर दुख का पहाड़ टूट पड़ा।
राजेश के मरे हुये अभी 15 耂दन ह霅� हुये थे। 耂शखा को उसे सास के ताने 耂मलने लगे। मह頄 ने दकु ान
जाना श㠅ु कर 耂दया था। वह जब दकु ान चले जात े तब अनीता 耂शखा को उ頄ट霅� सीधी बात, ग耂लयᘂ
भरे ताने मारने लगी। 耂शखा क훅� िज़ंदगी बीरान हो चकु 훅� थी। राजेश क훅� याद म वो अपनी 耂मȅसी
वाल霅� िजद को लेकर अफसोस करती हुई रोत-े रोत े घर का काम 耂कया करती थी। एक 耂दन 耂शखा के
मायके से उसके पापा आए। वे सास के पास बठै े, 耂शखा चाय बना लायी। 耂फर 耂शखा अपने कमरे म
चल霅� गई। थोड़ी देर बाद उसके पापा उसके कमरे म गए तो 耂शखा उनसे 耂लपट कर ज़ोर ज़ोर से रोने
लगी। पापा ने उसे 耂कसी तरह चपु कराया तो उसने कहा, सास ु मा ँ से अनमु 耂त ले लो मेरा मा ँ से
耂मलने को बहुत मन कर रहा है। 耂शखा के पापा ने अनीता से 耂शखा को घर ले जाने क훅� बात कह霅�,
अनीता ने हा ँ कह 耂दया और कहा, राजेश के पापा को फोन करके बता दो, वो अभी दकु ान पर हᘂगे।
耂शखा के पापा ने कहा ं म ै अभी दकु ान जा रहा हूँ उनसे 耂मलने तब तक 耂शखा तयै ार हो रह霅� है।
आ耂खर शाम को 耂शखा अपने पापा के साथ अपने घर आ गयी और अपनी मा ँ को देखत े ह霅� उनसे
耂लपटकर ज़ोर ज़ोर से रोने लगी। उसक훅� माँ ने भी उसे अपने सीने से लगा 耂लया।
耂शखा के दो भाई थे। दोनो क훅� शा耂दया ं हो चकु 훅� थी। बड़ी भाभी पास आकर उसे धीरज बंधा रह霅� थी,
तब तक छोट霅� भाभी चाय बना कर ले आयी। 耂शखा के भाई ऑ耂फस गए हुये थे। शाम को जब वे घर
आए तो 耂शखा एक बार 耂फए अपने बड़ े भाई मनीष को देखत े ह霅� रोने लगी। मनीष ने उसे साहस
耂दया, हम लोग त頄ु हारा परू ा 氅याल रखेग तमु 耂कसी बात क훅� 耂चतं ा मत करो। 耂शखा को आज अपने
म頄मी-पापा के यहा ँ आए हुये बारह 耂दन हो गए थे। 耂शखा का तो ससरु ाल जाने का मन नह霅� ं था।
एक 耂दन रात खाने के बाद 耂शखा के रहने को लेकर उसके भाई और भाभी के बीच मतभेद हो रहा
था। 耂शखा बठै े-बठै े चपु -चाप सब सनु रह霅� थी। उस रात वह सोने से पहले घंटो सोचती रह霅� आ耂खर
उसने अगले 耂दन अपने ससरु ाल जाने का फै साला कर 耂लया। अगल霅� सबु ह जब 耂पता जी और उसके
भाई ऑ耂फस चले गए तो वह अपनी मा ँ से 耂मलकर अपने ससरु ाल चल霅� आयी। मा ँ ने बहुत माना
耂कया पर 耂शखा कहा ं मानी। वह अभी बस म बठै ᘂ-बठै ᘂ जाने ȅया ȅया सोच रह霅� थी। कानपरु आकर,
आटो पकड़ अपने घर क훅� बजाय। अपने ससरु क훅� दकु ान पर जाने का फै सला 耂कया। आटो दकु ान के
सामने 頄का, 耂शखा के ससरु ने 耂शखा को आटो से उतरत े देख वो बाहर आ गए। मह頄 耂शखा के पास
गए, 耂शखा पहले से ह霅� कहने लगी पापा मझु े आपसे ज㠅र霅� बात करनी है। दकु ान म पीछे क훅� तरफ
एक कमरा था। मह頄 ने 耂शखा को कमरे म बठै ने को कहा और ये भी कहा म ै अभी आता हूँ। मह頄
अपने दकु ान के कमच圀� ार霅� से दकु ान देखने को कहकर 耂शखा के पास गए। मह頄 जसै े ह霅� कमरे म आये
耂शखा रोत े हुये कहने लगी, पापा म ै बहुत परेशान हूँ। म ै जीना नह霅� ं चाहती। म मर जाना चाहती हूँ।
मह頄 ने उससे कहा म त頄ु हारा दद圀� समझता हूँ पर बताओ आ耂खर बात ȅया है। 耂शखा ने बताया, जब
आप दकु ान पर आ जात े हो तो सास ु मा ँ मझु े बहुत भला-बरु ा कहती है। सारा 耂दन मझु े ताने 耂दया
करती ह, पापा म ै नह霅� ं जी पाऊँ गी। मह頄 ने उसे धीरज बँधाया, तमु 耂चतं ा मत करो, म ै अनीता को
समझाऊं गा। 耂फर मह頄 耂शखा को घर पर छोड़ आए। दकु ान पर अब वह अके ले ह霅� रहत े थे इसी耂लए
ज頄द霅� ह霅� वापस आ गए। 耂शखा अपने कमरे म जाकर कपड़ े बदलने लगी। शाम होने को आई तो
अनीता तीखी आवाज म ै बोल霅�, महारानी, चाय बनाने का क调ट करोगी? 耂शखा तरु ंत बोल霅� हा ँ म頄मी
अभी बनाती हूँ। 耂शखा चाय बना कर अनीता को देने गई तो अनीता झ頄लात े हुये बोल霅�, मायके म ह霅�
बनी रहती इतनी ज頄द霅� काहे आ गई, हमने तो सोचा था 耂क त ू अब नह霅� आयेगी। 耂शखा 耂फर 耂कचन
म चल霅� गई। रात होने को आई थी। 耂शखा रात का खाना बनाने के 耂लए 耂कचन म देख रह霅� थी 耂क
स调जी म ȅया ȅया है। धीरे-धीरे रात हो गई। मह頄 के आने का समय हो गया था, 耂शखा रोट霅� बनाने
लगी। थोड़ी देर बाद मह頄 घर आ गए। आत े ह霅� वे 䈆े श होने चले गए। खाने के बाद मह頄 ने अनीता
को समझाया, बहू पर 耂च頄लाया न करो। इतना सनु त े ह霅� अनीता मह頄 के ह霅� सामने 耂च頄लाने लगी,
साल霅� कु 耂तया, मायके से पहले दकु ान पर गई थी त頄ु हारे कान भरने। मह頄 ने अनीता को शांत
कराया। अनीता को समझाया, बहू बहुत परेशान है अगर तमु उस पर 耂च頄लाओगी तो वह कह霅� ं कु छ
उ頄टा सीधा न कर ले...।
राजेश को गुजरे हुये आज से लगभग ढाई मह霅�ने हो चकु े थे। सबु ह 9 बजे का समय था। मह頄 दकु ान
जाने के 耂लए तयै ार हो रहे थे। 耂शखा उनके 耂लए 耂ट耂फन लगाने जा रह霅� थी 耂क अचानक घर पर कु छ
लोग आ गए। वे लोग एल॰ आई॰ सी ॰ से थे। राजेश ने दो बीमा करा रखे थे। वो लोग उसी 耂वषय म
जानकार霅� लेने आए थे। मह頄 और अनीता उन लोगᘂ से बात कर रहे थे। 耂शखा उन लोगो के 耂लए
चाय बनाने लगी। कु छ देर बाद 耂शखा चाय लेकर कमरे म गयी और चाय रखकर वापस लौट霅� तो
मह頄 ने बीमा वालᘂ को बताया ये राजेश क훅� प萃नी है। 耂शखा चाय देकर वापस आकर द霅�वार से
लगकर कर उनक훅� बात सनु ने लगी थी। कु छ समय बाद 耂शखा के हाथ पर ऊपर से 耂छपकल霅� 耂गर
गयी िजससे उसके हाथ से वो चाय वाल霅� 頄े छू ट कर 耂गर गयी। 耂शखा घबरा सी गयी 耂क सबको
खबर हो चकु 훅� थी, क훅� 耂शखा उनक훅� बात सनु रह霅� है। बीमा वालᘂ के जात े ह霅� अनीता ने ह頄ला मचाना
श㠅ु कर 耂दया 耂शखा को भला बरु ा कहने लगी। साल霅� ल霅� छु प-छु प कर बात सनु ती है। मह頄 अनीता
को 耂च頄लात े हुये बोले अब चपु भी रहो। दस बजे मह頄 दकु ान पर चले गए। 耂शखा घर के काम म
调य頄त हो गई। दोपहर का समय था, आगँ न म काफ훅� धलू जमी देखकर 耂शखा पᘂछा लगाने लगी।
अनीता 耂कसी काम से आगँ न म आई। आगन गीला था, अनीता 耂फसल गयी। 耂फर ȅया था, अनीता
耂शखा को भ頄द霅�-भ頄द霅� गा耂लया ं देने लगी और यहा ँ तक क훅� पास रखा बाइपर उठा 耂शखा को दो चार
जड़ भी 耂दये। 耂शखा बेचार霅� वह霅�ं बैठᘂ-बैठᘂ रोती रह霅�। शाम होने को आयी 耂शखा उदास मन 耂लये
अपनी शाम क훅� 耂दनचया 圀� परू 霅� करने लगी। रोज क훅� तरह 耂शखा ने सास-ससरु को खाना 耂खलाया और
頄वय ं नह霅� ं खाकर अपने कमरे बठै कर सोचने लगी। मह頄 को कु छ पता नह霅� ं था वे सो गए। अनीता
भी सो गई।
शबु ह रोज क훅� तरह मह頄 अपने घर के सामने वाले पाक圀� म टहल थे। अनीता छत पर बठै ᘂ मह頄 को
देख रह霅� थी और बगल वाल霅� अपनी सहेल霅� से बात े कर रह霅� थी। धपू तजे हो रह霅� थी। साढ़े सात बज
गए। अनीता सोच रह霅� थी 耂क अभी तक 耂शखा चाय लेकर ȅयो नह霅� ं आयी। पं頄ह 耂मनट के बाद
अनीता नीचे गयी और 耂च頄लात े हुये बोल霅�, कहा ँ मर कर गयी, अभी तक चाय नह霅� ं बनाई है। इधर
उधर देखने के बाद जब उसे 耂शखा कह霅� ं नजर नह霅� आयी। तो वह 耂शखा के कमरे क훅� तरफ गयी तो
देखा दरवाजा अदं र से बंद था। अनीता 耂फर 耂च頄लायी अभी तक महारानी सो रह霅� है। उसने दरवाजा
खटकटाया 耂फर भी आहट ना हुई तो अनीता ने 耂खड़क훅� के काँच से झाँक कर अदं र देखा। तो चकरा
गयी। उसने मह頄 को फोन लगाकर तरु ंत आने के 耂लए कहा। मह頄 भागत े हुए आए तो देखा अनीता
ज़ोर से काप रह霅� थी। उसने काँच से अदं र झाकने का इशारा 耂कया। मह頄 ने काँच से झाँक कर देखा
तो 耂शखा पंखे से लटक훅� थी। वे फȅक राग गए...ले耂कन अगले ह霅� 韔�ण धȅके मारकर दरवाजा तोड़ने
लगे। दरवाजा टूटत े ह霅� दौड़कर 耂शखा को पकड़ा जाकर 耂क शायद अभी िजंदा हो, ले耂कन 耂शखा मर
चकु 훅� थी। मह頄 के कु छ समझ म नह霅� ं आ रहा था 耂क ȅया करे। मह頄 गु頄से म अनीता क훅� तरफ दौड़ े
उसे पकड़कर पीटेने लगे। वे 耂च頄लाते जा रहे थे...कमीनी, तेर霅� ह霅� वजह से आज ये नौबत आयी है...।
खबर तरु ंत परू े महु 頄ले म फै ल गयी। मह頄 ने सोचा 耂क 耂शखा के मायके खबर कर द। तो लोगᘂ ने
समझाया। पहले लाश को 耂ठकाने लगाओ, प耂ु लस के स हो गया तो मसु ीबत आ जाएगी। ले耂कन 耂कसी
ने प耂ु लस को खबर कर द霅�। पड़ोस के लोग लाश को 耂ठकाने लगाने क훅� योजना बना ह霅� रहे थे, कह霅� ं
耂क प耂ु लस आ गयी। मामला बढ़ गया। 耂शखा क훅� लाश पो頄頄मोट圀�म हाउस चल霅� गयी। इधर 耂शखा के
म頄मी-पापा और भाई भी आ गए। खरै , 耂शखा के पापा ने प耂ु लस को इⰄवो頄व नह霅� ं 耂कया। चार घंटे
बाद 耂शखा क훅� डडे बॉडी पो頄頄मोट圀�म हाउस से वापस आ गयी। पो頄頄मोट圀�म 耂रपोट圀� म जो था उसने
सबका 耂दल दहला 耂दया। 耂रपोट圀� सनु कर अनीता को ऐसा झटका लगा 耂क वह पागल हो गयी। 耂रपोट圀�
म था, 耂शखा ढाई मह霅�ने से गभ圀�वती थी। उसके पेट म एक लड़का था...।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें