शुक्रवार, 6 जनवरी 2017


頄阄ी 耂वमश圀� पर एक कहानी
“ बीज ह萃या “
लेखक : वैभव क耂टयार
मो॰ 9455062093
एम॰बी॰ए॰
म॰ गां॰ अ॰ 耂हंद霅� 耂व៰�व耂व頄यालय, वधा圀� महारा调頄
耂शखा माथुर क훅� िज़ंदगी म􀉅 शायद चार 耂दन क훅� बहार थी। अब तो उसे अपना सारा जीवन पतझड़ सा
नजर आ रहा था। 耂शखा 耂वधवा थी। उसक훅� सास अनीता, उसे हर वȅत ताने 耂दया करती थी 耂क
उसने उसके बेटे को खा 耂लया। 耂शखा घर का सारा काम करती थी जसै े 耂क वह अपने ह霅� घर म􀉅
नौकरानी बनकर रहती थी। 耂शखा का प耂त राजेश अपने 耂पता, मह􀉅頄 के साथ उनके कपड़ े क훅� दकु ान
म􀉅 हाथ बंटाया करता था। राजेश रोज शाम को ज頄द霅� घर आ जाया करता था। उस 耂दन भी वह कु छ
ज頄द霅� ह霅� घर आ गया था। 耂शखा ने चाय बनाई और दोनᘂ साथ बठै कर चाय पी रहे थे। 耂शखा चाय
पीत-े पीत े 耂मȅसी लाने क훅� िजद कर बठै ᘂ। राजेश उसे 耂मȅसी 耂दलाने को कई 耂दनᘂ से टाल रहा था
ले耂कन आज वह टाइम का भी बहाना न बना सका। उसने 耂शखा से कहा अभी त頄ु हार霅� 耂मȅसी खर霅�द
कर लाता हूँ। रोज-रोज नाक म􀉅 दम कर रखा है। राजेश अपनी बाइक लेकर बाजार चला गया। रात
के आठ बजने वाले थे। वह तजे बाइक चला रहा था। अचानक उसके सामने एक छोट霅� सी ब戄ची आ
गई। उसने बहुत ज़ोर से 찄ेक लगाया। बाइक उछाल खाकर बाएँ तरफ लढ़ु क गई। राजेश का सर बहुत
ज़ोर से सड़क 耂कनारे खड़ े पेड़ से टकरा गया। आसपास के लोग खनू से लथपथ, बेहोश राजेश को
अ頄पताल ले गए। साढ़े आठ बजे राजेश के एȅसीड􀉅ट क훅� खबर उसके पापा को 耂मल霅�। वह दकु ान बंद
करके भागत े हुए अ頄पताल पँहुचे। डॉ॰ राजेश का इलाज कर रहे थे ले耂कन उसक훅� हालत काफ훅� गंभीर
थी। घबराए हुए मह􀉅頄 ने दघु ट圀� ना क훅� जानकार霅� फोन के मा៘�यम से अनीता को द霅� और ये भी कह
耂दया क훅� बहू को लेकर ज頄द霅� लो耂हया अ頄पताल आ जाए। तीन 耂दन राजेश का इलाज चलाने के बाद
डाȅटर उसे बचा नह霅� सके थे। राजेश और 耂शखा क훅� शाद霅� के अभी 16 मह霅�ने हुये थे। अभी उनक훅�
कोई संतान नह霅� थी। शायद उⰄह􀉅 संतान पदै ा करने क훅� इतनी ज頄द霅� भी नह霅� ं थी। 耂कसे पता था 耂क
ऐसी घटना भी हो सकती थी। बेचार霅� 耂शखा पर दुख का पहाड़ टूट पड़ा।
राजेश के मरे हुये अभी 15 耂दन ह霅� हुये थे। 耂शखा को उसे सास के ताने 耂मलने लगे। मह􀉅頄 ने दकु ान
जाना श㠅ु कर 耂दया था। वह जब दकु ान चले जात े तब अनीता 耂शखा को उ頄ट霅� सीधी बात􀉅, ग耂लयᘂ
भरे ताने मारने लगी। 耂शखा क훅� िज़ंदगी बीरान हो चकु 훅� थी। राजेश क훅� याद म􀉅 वो अपनी 耂मȅसी
वाल霅� िजद को लेकर अफसोस करती हुई रोत-े रोत े घर का काम 耂कया करती थी। एक 耂दन 耂शखा के
मायके से उसके पापा आए। वे सास के पास बठै े, 耂शखा चाय बना लायी। 耂फर 耂शखा अपने कमरे म􀉅
चल霅� गई। थोड़ी देर बाद उसके पापा उसके कमरे म􀉅 गए तो 耂शखा उनसे 耂लपट कर ज़ोर ज़ोर से रोने
लगी। पापा ने उसे 耂कसी तरह चपु कराया तो उसने कहा, सास ु मा ँ से अनमु 耂त ले लो मेरा मा ँ से
耂मलने को बहुत मन कर रहा है। 耂शखा के पापा ने अनीता से 耂शखा को घर ले जाने क훅� बात कह霅�,
अनीता ने हा ँ कह 耂दया और कहा, राजेश के पापा को फोन करके बता दो, वो अभी दकु ान पर हᘂगे।
耂शखा के पापा ने कहा ं म ै अभी दकु ान जा रहा हूँ उनसे 耂मलने तब तक 耂शखा तयै ार हो रह霅� है।
आ耂खर शाम को 耂शखा अपने पापा के साथ अपने घर आ गयी और अपनी मा ँ को देखत े ह霅� उनसे
耂लपटकर ज़ोर ज़ोर से रोने लगी। उसक훅� माँ ने भी उसे अपने सीने से लगा 耂लया।
耂शखा के दो भाई थे। दोनो क훅� शा耂दया ं हो चकु 훅� थी। बड़ी भाभी पास आकर उसे धीरज बंधा रह霅� थी,
तब तक छोट霅� भाभी चाय बना कर ले आयी। 耂शखा के भाई ऑ耂फस गए हुये थे। शाम को जब वे घर
आए तो 耂शखा एक बार 耂फए अपने बड़ े भाई मनीष को देखत े ह霅� रोने लगी। मनीष ने उसे साहस
耂दया, हम लोग त頄ु हारा परू ा 氅याल रखेग􀉅 तमु 耂कसी बात क훅� 耂चतं ा मत करो। 耂शखा को आज अपने
म頄मी-पापा के यहा ँ आए हुये बारह 耂दन हो गए थे। 耂शखा का तो ससरु ाल जाने का मन नह霅� ं था।
एक 耂दन रात खाने के बाद 耂शखा के रहने को लेकर उसके भाई और भाभी के बीच मतभेद हो रहा
था। 耂शखा बठै े-बठै े चपु -चाप सब सनु रह霅� थी। उस रात वह सोने से पहले घंटो सोचती रह霅� आ耂खर
उसने अगले 耂दन अपने ससरु ाल जाने का फै साला कर 耂लया। अगल霅� सबु ह जब 耂पता जी और उसके
भाई ऑ耂फस चले गए तो वह अपनी मा ँ से 耂मलकर अपने ससरु ाल चल霅� आयी। मा ँ ने बहुत माना
耂कया पर 耂शखा कहा ं मानी। वह अभी बस म􀉅 बठै ᘂ-बठै ᘂ जाने ȅया ȅया सोच रह霅� थी। कानपरु आकर,
आटो पकड़ अपने घर क훅� बजाय। अपने ससरु क훅� दकु ान पर जाने का फै सला 耂कया। आटो दकु ान के
सामने 頄का, 耂शखा के ससरु ने 耂शखा को आटो से उतरत े देख वो बाहर आ गए। मह􀉅頄 耂शखा के पास
गए, 耂शखा पहले से ह霅� कहने लगी पापा मझु े आपसे ज㠅र霅� बात करनी है। दकु ान म􀉅 पीछे क훅� तरफ
एक कमरा था। मह􀉅頄 ने 耂शखा को कमरे म􀉅 बठै ने को कहा और ये भी कहा म ै अभी आता हूँ। मह􀉅頄
अपने दकु ान के कमच圀� ार霅� से दकु ान देखने को कहकर 耂शखा के पास गए। मह􀉅頄 जसै े ह霅� कमरे म􀉅 आये
耂शखा रोत े हुये कहने लगी, पापा म ै बहुत परेशान हूँ। म ै जीना नह霅� ं चाहती। म 􀉇 मर जाना चाहती हूँ।
मह􀉅頄 ने उससे कहा म 􀉇 त頄ु हारा दद圀� समझता हूँ पर बताओ आ耂खर बात ȅया है। 耂शखा ने बताया, जब
आप दकु ान पर आ जात े हो तो सास ु मा ँ मझु े बहुत भला-बरु ा कहती है। सारा 耂दन मझु े ताने 耂दया
करती ह􀉇, पापा म ै नह霅� ं जी पाऊँ गी। मह􀉅頄 ने उसे धीरज बँधाया, तमु 耂चतं ा मत करो, म ै अनीता को
समझाऊं गा। 耂फर मह􀉅頄 耂शखा को घर पर छोड़ आए। दकु ान पर अब वह अके ले ह霅� रहत े थे इसी耂लए
ज頄द霅� ह霅� वापस आ गए। 耂शखा अपने कमरे म􀉅 जाकर कपड़ े बदलने लगी। शाम होने को आई तो
अनीता तीखी आवाज म ै बोल霅�, महारानी, चाय बनाने का क调ट करोगी? 耂शखा तरु ंत बोल霅� हा ँ म頄मी
अभी बनाती हूँ। 耂शखा चाय बना कर अनीता को देने गई तो अनीता झ頄लात े हुये बोल霅�, मायके म􀉅 ह霅�
बनी रहती इतनी ज頄द霅� काहे आ गई, हमने तो सोचा था 耂क त ू अब नह霅� आयेगी। 耂शखा 耂फर 耂कचन
म􀉅 चल霅� गई। रात होने को आई थी। 耂शखा रात का खाना बनाने के 耂लए 耂कचन म􀉅 देख रह霅� थी 耂क
स调जी म􀉅 ȅया ȅया है। धीरे-धीरे रात हो गई। मह􀉅頄 के आने का समय हो गया था, 耂शखा रोट霅� बनाने
लगी। थोड़ी देर बाद मह􀉅頄 घर आ गए। आत े ह霅� वे 䈆े श होने चले गए। खाने के बाद मह􀉅頄 ने अनीता
को समझाया, बहू पर 耂च頄लाया न करो। इतना सनु त े ह霅� अनीता मह􀉅頄 के ह霅� सामने 耂च頄लाने लगी,
साल霅� कु 耂तया, मायके से पहले दकु ान पर गई थी त頄ु हारे कान भरने। मह􀉅頄 ने अनीता को शांत
कराया। अनीता को समझाया, बहू बहुत परेशान है अगर तमु उस पर 耂च頄लाओगी तो वह कह霅� ं कु छ
उ頄टा सीधा न कर ले...।
राजेश को गुजरे हुये आज से लगभग ढाई मह霅�ने हो चकु े थे। सबु ह 9 बजे का समय था। मह􀉅頄 दकु ान
जाने के 耂लए तयै ार हो रहे थे। 耂शखा उनके 耂लए 耂ट耂फन लगाने जा रह霅� थी 耂क अचानक घर पर कु छ
लोग आ गए। वे लोग एल॰ आई॰ सी ॰ से थे। राजेश ने दो बीमा करा रखे थे। वो लोग उसी 耂वषय म􀉅
जानकार霅� लेने आए थे। मह􀉅頄 और अनीता उन लोगᘂ से बात􀉅 कर रहे थे। 耂शखा उन लोगो के 耂लए
चाय बनाने लगी। कु छ देर बाद 耂शखा चाय लेकर कमरे म􀉅 गयी और चाय रखकर वापस लौट霅� तो
मह􀉅頄 ने बीमा वालᘂ को बताया ये राजेश क훅� प萃नी है। 耂शखा चाय देकर वापस आकर द霅�वार से
लगकर कर उनक훅� बात􀉅 सनु ने लगी थी। कु छ समय बाद 耂शखा के हाथ पर ऊपर से 耂छपकल霅� 耂गर
गयी िजससे उसके हाथ से वो चाय वाल霅� 頄े छू ट कर 耂गर गयी। 耂शखा घबरा सी गयी 耂क सबको
खबर हो चकु 훅� थी, क훅� 耂शखा उनक훅� बात􀉅 सनु रह霅� है। बीमा वालᘂ के जात े ह霅� अनीता ने ह頄ला मचाना
श㠅ु कर 耂दया 耂शखा को भला बरु ा कहने लगी। साल霅� ल霅� छु प-छु प कर बात􀉅 सनु ती है। मह􀉅頄 अनीता
को 耂च頄लात े हुये बोले अब चपु भी रहो। दस बजे मह􀉅頄 दकु ान पर चले गए। 耂शखा घर के काम म􀉅
调य頄त हो गई। दोपहर का समय था, आगँ न म􀉅 काफ훅� धलू जमी देखकर 耂शखा पᘂछा लगाने लगी।
अनीता 耂कसी काम से आगँ न म􀉅 आई। आगन गीला था, अनीता 耂फसल गयी। 耂फर ȅया था, अनीता
耂शखा को भ頄द霅�-भ頄द霅� गा耂लया ं देने लगी और यहा ँ तक क훅� पास रखा बाइपर उठा 耂शखा को दो चार
जड़ भी 耂दये। 耂शखा बेचार霅� वह霅�ं बैठᘂ-बैठᘂ रोती रह霅�। शाम होने को आयी 耂शखा उदास मन 耂लये
अपनी शाम क훅� 耂दनचया 圀� परू 霅� करने लगी। रोज क훅� तरह 耂शखा ने सास-ससरु को खाना 耂खलाया और
頄वय ं नह霅� ं खाकर अपने कमरे बठै कर सोचने लगी। मह􀉅頄 को कु छ पता नह霅� ं था वे सो गए। अनीता
भी सो गई।
शबु ह रोज क훅� तरह मह􀉅頄 अपने घर के सामने वाले पाक圀� म􀉅 टहल थे। अनीता छत पर बठै ᘂ मह􀉅頄 को
देख रह霅� थी और बगल वाल霅� अपनी सहेल霅� से बात े कर रह霅� थी। धपू तजे हो रह霅� थी। साढ़े सात बज
गए। अनीता सोच रह霅� थी 耂क अभी तक 耂शखा चाय लेकर ȅयो नह霅� ं आयी। पं頄ह 耂मनट के बाद
अनीता नीचे गयी और 耂च頄लात े हुये बोल霅�, कहा ँ मर कर गयी, अभी तक चाय नह霅� ं बनाई है। इधर
उधर देखने के बाद जब उसे 耂शखा कह霅� ं नजर नह霅� आयी। तो वह 耂शखा के कमरे क훅� तरफ गयी तो
देखा दरवाजा अदं र से बंद था। अनीता 耂फर 耂च頄लायी अभी तक महारानी सो रह霅� है। उसने दरवाजा
खटकटाया 耂फर भी आहट ना हुई तो अनीता ने 耂खड़क훅� के काँच से झाँक कर अदं र देखा। तो चकरा
गयी। उसने मह􀉅頄 को फोन लगाकर तरु ंत आने के 耂लए कहा। मह􀉅頄 भागत े हुए आए तो देखा अनीता
ज़ोर से काप रह霅� थी। उसने काँच से अदं र झाकने का इशारा 耂कया। मह􀉅頄 ने काँच से झाँक कर देखा
तो 耂शखा पंखे से लटक훅� थी। वे फȅक राग गए...ले耂कन अगले ह霅� 韔�ण धȅके मारकर दरवाजा तोड़ने
लगे। दरवाजा टूटत े ह霅� दौड़कर 耂शखा को पकड़ा जाकर 耂क शायद अभी िजंदा हो, ले耂कन 耂शखा मर
चकु 훅� थी। मह􀉅頄 के कु छ समझ म􀉅 नह霅� ं आ रहा था 耂क ȅया करे। मह􀉅頄 गु頄से म􀉅 अनीता क훅� तरफ दौड़ े
उसे पकड़कर पीटेने लगे। वे 耂च頄लाते जा रहे थे...कमीनी, तेर霅� ह霅� वजह से आज ये नौबत आयी है...।
खबर तरु ंत परू े महु 頄ले म􀉅 फै ल गयी। मह􀉅頄 ने सोचा 耂क 耂शखा के मायके खबर कर द􀉅। तो लोगᘂ ने
समझाया। पहले लाश को 耂ठकाने लगाओ, प耂ु लस के स हो गया तो मसु ीबत आ जाएगी। ले耂कन 耂कसी
ने प耂ु लस को खबर कर द霅�। पड़ोस के लोग लाश को 耂ठकाने लगाने क훅� योजना बना ह霅� रहे थे, कह霅� ं
耂क प耂ु लस आ गयी। मामला बढ़ गया। 耂शखा क훅� लाश पो頄頄मोट圀�म हाउस चल霅� गयी। इधर 耂शखा के
म頄मी-पापा और भाई भी आ गए। खरै , 耂शखा के पापा ने प耂ु लस को इⰄवो頄व नह霅� ं 耂कया। चार घंटे
बाद 耂शखा क훅� डडे बॉडी पो頄頄मोट圀�म हाउस से वापस आ गयी। पो頄頄मोट圀�म 耂रपोट圀� म􀉅 जो था उसने
सबका 耂दल दहला 耂दया। 耂रपोट圀� सनु कर अनीता को ऐसा झटका लगा 耂क वह पागल हो गयी। 耂रपोट圀�
म􀉅 था, 耂शखा ढाई मह霅�ने से गभ圀�वती थी। उसके पेट म􀉅 एक लड़का था...।