ग़ज़ल एक ही बहर और वज़न के अनुसार लिखे गए शेरों का समूह है। इसके पहले शेर को मतला कहते हैं। ग़ज़ल के अंतिम शेर को मक़्ता कहते हैं। मक़्ते में सामान्यतः शायर अपना नाम रखता है/ग़ज़ल के शेर में तुकांत शब्दों को क़ाफ़िया कहा जाता है और शेरों में दोहराए जाने वाले शब्दों को रदीफ़ कहा जाता है। शेर की पंक्ति को मिस्रा कहा जाता है। मतले के दोनों मिस्रों में काफ़िया आता है और बाद के शेरों की दूसरी पंक्ति में काफ़िया आता है। रदीफ़ हमेशा काफ़िये के बाद आता है।
शनिवार, 30 सितंबर 2017
गुरुवार, 27 जुलाई 2017
रविवार, 16 जुलाई 2017
मंगलवार, 16 मई 2017
बुधवार, 10 मई 2017
शुक्रवार, 5 मई 2017
गुरुवार, 4 मई 2017
मंगलवार, 2 मई 2017
शुक्रवार, 28 अप्रैल 2017
गुरुवार, 27 अप्रैल 2017
बुधवार, 26 अप्रैल 2017
मंगलवार, 25 अप्रैल 2017
गुरुवार, 13 अप्रैल 2017
मंगलवार, 11 अप्रैल 2017
शुक्रवार, 7 अप्रैल 2017
बुधवार, 5 अप्रैल 2017
सोमवार, 3 अप्रैल 2017
शुक्रवार, 31 मार्च 2017
गुरुवार, 30 मार्च 2017
बुधवार, 29 मार्च 2017
गुरुवार, 23 मार्च 2017
बुधवार, 22 मार्च 2017
सोमवार, 20 मार्च 2017
शुक्रवार, 17 मार्च 2017
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गजल
,
ये दिल जिस्मों जाँ सब निसार करते
वो चाहता तो हम भी उसे प्यार करते ,
उसने अच्छा ही किया कोई वादा ना करके
वरना बेवजह हम उम्रभर इंतजार करते
आपकी कश्ती ही जब हमे डुबोने लगी
तो किसके सहारे हम दरिया पार करते
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गजल
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ये दिल जिस्मों जाँ सब निसार करते
वो चाहता तो हम भी उसे प्यार करते ,
उसने अच्छा ही किया कोई वादा ना करके
वरना बेवजह हम उम्रभर इंतजार करते
आपकी कश्ती ही जब हमे डुबोने लगी
तो किसके सहारे हम दरिया पार करते
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गुरुवार, 16 मार्च 2017
बुधवार, 15 मार्च 2017
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