गीत
बात जरा पुरानी है दर्द दिल में गहरा है
आज मेरी आखों में फिर उसी का चेहरा है
1
खुद से ज्यादा चाहा जिसको. वो कभी मिलता नहीं ,
आशाओं का सूरज आखों से ढलता नही
कैसे दिल को समझाऊ . ये तो गूगा बहरा है
आज मेरी आखों में .......
2
रूठ रूठ कर मानना . मीत के वो चार दिन
याद आते है बहुत प्रीत के वो चार दिन
ख़्वाब अतीत में जाकर उनकी गली में ठहरा है
आज मेरी आखों में ...............
बात जरा पुरानी है दर्द दिल में गहरा है
आज मेरी आखों में फिर उसी का चेहरा है
1
खुद से ज्यादा चाहा जिसको. वो कभी मिलता नहीं ,
आशाओं का सूरज आखों से ढलता नही
कैसे दिल को समझाऊ . ये तो गूगा बहरा है
आज मेरी आखों में .......
2
रूठ रूठ कर मानना . मीत के वो चार दिन
याद आते है बहुत प्रीत के वो चार दिन
ख़्वाब अतीत में जाकर उनकी गली में ठहरा है
आज मेरी आखों में ...............
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