ग़ज़ल एक ही बहर और वज़न के अनुसार लिखे गए शेरों का समूह है। इसके पहले शेर को मतला कहते हैं। ग़ज़ल के अंतिम शेर को मक़्ता कहते हैं। मक़्ते में सामान्यतः शायर अपना नाम रखता है/ग़ज़ल के शेर में तुकांत शब्दों को क़ाफ़िया कहा जाता है और शेरों में दोहराए जाने वाले शब्दों को रदीफ़ कहा जाता है। शेर की पंक्ति को मिस्रा कहा जाता है। मतले के दोनों मिस्रों में काफ़िया आता है और बाद के शेरों की दूसरी पंक्ति में काफ़िया आता है। रदीफ़ हमेशा काफ़िये के बाद आता है।
मंगलवार, 16 फ़रवरी 2016
शुक्रवार, 5 फ़रवरी 2016
बुधवार, 3 फ़रवरी 2016
गीत
बात जरा पुरानी है दर्द दिल में गहरा है
आज मेरी आखों में फिर उसी का चेहरा है
1
खुद से ज्यादा चाहा जिसको. वो कभी मिलता नहीं ,
आशाओं का सूरज आखों से ढलता नही
कैसे दिल को समझाऊ . ये तो गूगा बहरा है
आज मेरी आखों में .......
2
रूठ रूठ कर मानना . मीत के वो चार दिन
याद आते है बहुत प्रीत के वो चार दिन
ख़्वाब अतीत में जाकर उनकी गली में ठहरा है
आज मेरी आखों में ...............
बात जरा पुरानी है दर्द दिल में गहरा है
आज मेरी आखों में फिर उसी का चेहरा है
1
खुद से ज्यादा चाहा जिसको. वो कभी मिलता नहीं ,
आशाओं का सूरज आखों से ढलता नही
कैसे दिल को समझाऊ . ये तो गूगा बहरा है
आज मेरी आखों में .......
2
रूठ रूठ कर मानना . मीत के वो चार दिन
याद आते है बहुत प्रीत के वो चार दिन
ख़्वाब अतीत में जाकर उनकी गली में ठहरा है
आज मेरी आखों में ...............
गीत
मुश्किलों में राहें बनाते चलो
ज़िन्दगी भी गीत है गाते चलो
1
अंगार पर भी शबनमी बोछार कीजिये
काटों से भी फोलों के लिएप्यार कीजिये
अंधेरों में दीप जलाते चलो . जिन्दगी भी गीत ......
2
कोई बाजियां हर कर जीत कर रहा
नीले गगन की छाँव में प्रीत कर रहा
रोम रोम मीत पर लुटते चलो . जिन्दगी भी गीत ........
मुस्किलो में राहें बनाते चलो
जिन्दगी भी गीत है गाते चलो
मुश्किलों में राहें बनाते चलो
ज़िन्दगी भी गीत है गाते चलो
1
अंगार पर भी शबनमी बोछार कीजिये
काटों से भी फोलों के लिएप्यार कीजिये
अंधेरों में दीप जलाते चलो . जिन्दगी भी गीत ......
2
कोई बाजियां हर कर जीत कर रहा
नीले गगन की छाँव में प्रीत कर रहा
रोम रोम मीत पर लुटते चलो . जिन्दगी भी गीत ........
मुस्किलो में राहें बनाते चलो
जिन्दगी भी गीत है गाते चलो
मंगलवार, 2 फ़रवरी 2016
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