भारतीय इतिहास को पड़कर मुझे तो ऐसा लगा
भारत के मूल निवासी बहुत ही .....
क्योकि भारत पर यूरोपीय देशों के तमाम आक्रमण हुए । तमाम जातियां धर्म भारत मे पनपे। पाश्चात्य देशों के आक्रमण भी अपने धर्म का बीज यहाँ उगा गये । और कुछ भारतीय मनुष्य को भारत मे प्रचलित अपने धर्म मे सम्मान नही मिला । प्रचलित धर्म मे खामियाँ नजर आयी ।तो उन्होंने अपने नये धर्म का निर्माण कर लिया ।
खामियाँ तो तमाम थी । अपने मनुष्य का तिरस्कार ।रूढ़िवादी प्रथा कुछ नही ये कुछ धनाढ्य स्वयं अपने लोगो से गुलामी कराना चाहते रहे होगे ।और भारत को ज्ञान का पुस्तकालय कहते विश्व गुरु बनाने का सपना आज भी रखते है । अगर भारत मे विशिष्ट ज्ञान था तो आज क्यों नही है क्योकि ये लोग अपने ज्ञान को बाटना नही चाहते होगे ।
और इन्होंने ना अपने देश की हिफाजत कर पायी ।ना सभ्यता की । ना ही संस्कृत भाषा की ।
और आज भारत बन गया वो देश जिसमे तमाम धर्म मजहब भाषा रगं रूप। ............
और संवैधानिक भी हो गया ।
और अब धर्म जाति मजहब। के नाम से वही लोग राजनीति कर रहे है । तमाम दगें फसाद ।
अहम बात तो ये है। मूल भारतीय अभी खामोश है ।
भारत के मूल निवासी बहुत ही .....
क्योकि भारत पर यूरोपीय देशों के तमाम आक्रमण हुए । तमाम जातियां धर्म भारत मे पनपे। पाश्चात्य देशों के आक्रमण भी अपने धर्म का बीज यहाँ उगा गये । और कुछ भारतीय मनुष्य को भारत मे प्रचलित अपने धर्म मे सम्मान नही मिला । प्रचलित धर्म मे खामियाँ नजर आयी ।तो उन्होंने अपने नये धर्म का निर्माण कर लिया ।
खामियाँ तो तमाम थी । अपने मनुष्य का तिरस्कार ।रूढ़िवादी प्रथा कुछ नही ये कुछ धनाढ्य स्वयं अपने लोगो से गुलामी कराना चाहते रहे होगे ।और भारत को ज्ञान का पुस्तकालय कहते विश्व गुरु बनाने का सपना आज भी रखते है । अगर भारत मे विशिष्ट ज्ञान था तो आज क्यों नही है क्योकि ये लोग अपने ज्ञान को बाटना नही चाहते होगे ।
और इन्होंने ना अपने देश की हिफाजत कर पायी ।ना सभ्यता की । ना ही संस्कृत भाषा की ।
और आज भारत बन गया वो देश जिसमे तमाम धर्म मजहब भाषा रगं रूप। ............
और संवैधानिक भी हो गया ।
और अब धर्म जाति मजहब। के नाम से वही लोग राजनीति कर रहे है । तमाम दगें फसाद ।
अहम बात तो ये है। मूल भारतीय अभी खामोश है ।